कोई है खड़ा दूर,
मुस्कुरराते मुखोटे में,
मुझे रिझा रहा या हस रहा मुझपर,
सवाल है वोह बस एक सवाल!
कभी घृणा में ढोंग सी हसी,
कभी अनसुलझी कुटीर मुस्कान में,
कुछ परखता सा बेचैन है वोह!
जितना पास मैं जाऊ उसके,
उतना खीचे उससे कोई दूर,
एक ख़ामोशी के शोर में लीन सा,
सवाल है वोह बस एक सवाल!
सामने नहीं है वोह,
बस पीछे एक आवाज़ है,
शायद वोह मेरा कल या मैं उसका आज हु!
वोह अपरिचित काल है,
या किसी लेखन के सार है,
शायद वोह मैं ही हु,
शायद मैं खुद एक सवाल हु!
कोई है खड़ा दूर,
बेमौसम बरसात में भीगता,
मुझे जला रहा या ठिठुरके कुछ मांगता,
सवाल है वोह बस एक सवाल!
Koi hai khada door,
मुस्कुरराते मुखोटे में,
मुझे रिझा रहा या हस रहा मुझपर,
सवाल है वोह बस एक सवाल!
कभी घृणा में ढोंग सी हसी,
कभी अनसुलझी कुटीर मुस्कान में,
कुछ परखता सा बेचैन है वोह!
जितना पास मैं जाऊ उसके,
उतना खीचे उससे कोई दूर,
एक ख़ामोशी के शोर में लीन सा,
सवाल है वोह बस एक सवाल!
सामने नहीं है वोह,
बस पीछे एक आवाज़ है,
शायद वोह मेरा कल या मैं उसका आज हु!
वोह अपरिचित काल है,
या किसी लेखन के सार है,
शायद वोह मैं ही हु,
शायद मैं खुद एक सवाल हु!
कोई है खड़ा दूर,
बेमौसम बरसात में भीगता,
मुझे जला रहा या ठिठुरके कुछ मांगता,
सवाल है वोह बस एक सवाल!
Koi hai khada door,
muskuraate mukhote mein,
mujhe rijha raha ya hass raha
mujhpar,
sawaal hai woh bas ek sawaal!
Kabhi ghrana me dhhong c hasi,
kabhi unsuljhee kuteer muskaan me,
kuchh parakhta sa bechain hai woh!
Jitna paas main jau uske,
utna keeche usse koi door,
ek khamoshi k shor me leen saa,
sawaal hai woh bas ek sawaal!
Saamne nahi hai woh,
bas peechhe ek awaaz hai,
shayad woh mera kal ya main uska
aaj hu!
Woh aparichit kaal hai,
Yaa kissi lekhan ka saar hai,
Shayad woh main khud hi hu,
Shayad main khud ek sawaal hu!
Koi hai khada door,
Bemausam barsaat me bheegta,
mujhe jala raha ya thithorke kuchh
maangta,
sawaal hai woh bas ek sawaal!
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